आम तौर पर इस शब्द को ED यानि लिंग में पर्याप्त तनाव न होने के कारण संभोग कर पाने में असमर्थ होने की स्थिति के पर्यायवाची के रूप में माना जाता है परंतु यदि हिन्दी डिक्शनरी में इस का अर्थ है जब इंसान के शरीर में वीर्य कम या ख़त्म हो जाता है जिस से वो संतान प्राप्त नहीं कर सकता , जो पूरी तरह से ग़लत है । इसे ED यानी Erectile Dysfunction के पर्यायवाची के रूप में ही लिया जाना चाहिए ।
ED में पुरुष के लिंग में वांछित समय पर लिंग में प्रयाप्त कठोरता नहीं आ पाती या सेक्स प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए पूरे समय तक टिक नहीं पाती जिस से लिंग डिस्चार्ज से पहले ही नर्म हो जाता है , और सेक्स प्रक्रिया अधूरी ही छोड़ना पड़ती है ।
ये समस्या आजकल काफ़ी पुरुषों में पायी जाने लगी है । युवा पुरुषों में कम से कम 25-30% लोग इस से पीड़ित है और उम्र के साथ इस की संभावना ज़्यादा होती जाती है । 40 वर्ष तक के पुरुषों के 30-40% और 60 वर्ष के पुरुषों में 50% से ज़्यादा लोगो में ये समस्या होती है ।
इसके दो प्रकार के कारण होते है – मनोवैज्ञानिक और शारीरिक कारण । मनोवैज्ञानिक कारणों में मुख्य है – मानसिक तनाव, डिप्रेशन, एंजाइटी, मनोरोग या उनके लिये प्रयुक्त अनेक दवाइयाँ शारीरिक कारणों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप , हृदय रोग , हाई कोलेस्ट्रॉल , तंत्रिका तंत्र की अनेक बीमारियाँ , अनेक दवाओं के साइड इफ़ेक्ट जैसे बीपी , कैंसर, मनोरोग , प्रोस्टेट आदि की दवाइयाँ , हार्मोन्स की कमी आदि ।
युवा अवस्था में अधिकतर लोगो में मनोवैज्ञानिक और प्रौढ़ या उसके बाद में ज़्यादा शारीरिक कारक ही इस समस्या के लिए ज़िम्मेदार होते है , परंतु अधिकतर मरिज़ो में दोनों तरह के कारण अलग अलग अनुपात में होते है ।
डायग्नोसिस – इसके लिए डिटेल में हिस्ट्री ली जाती है और उन सभी संभावित कारणों पर विचार किया जाता है ।
रक्त जाँच से हार्मोन्स, मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल की जाँच की जाती है । रक्त संचार देखने के लिए डोपलर स्टडी कर सकते है और कठोरता नापने के लिए Rigiscan से जाँच कर सकते है । मनोवैज्ञानिक और शारीरिक कारणों में फ़र्क़ के लिये NPT कर सकते है । इस टेस्ट में पूरी रात एक मशीन आपके लिंग की गतिविधियों को रिकॉर्ड करती है और अगली सुबह कंप्यूटर से इसका एनालिसिस हो जाता है ।
उपचार– कई प्रकार से हो सकता है । सबसे पहले दिनचर्या में सुधार किया जाना चाहिये । 7-8 घंटे की स्वस्थ नियमित नींद , प्रतिदिन 30 मिनट और हफ़्ते में 210 मिनट हाई वॉल्यूम एक्सरसाइज और सभी प्रकार के नशे से दूरी काफ़ी फ़ायदेमंद होती है ।
दवाई – हार्मोन्स के अतिरिक्त कई दवाइयाँ काफ़ी फ़ायदेमंद होती है जैसे सिल्डेनफिल, तदलफ़िल, अवनफ़िल, उड़ेनफ़िल और वर्डनफ़ील जैसी दवाइयाँ यदि डॉक्टर के निर्देशानुसार ली जाये तो काफ़ी एक अच्छे परिणाम होते है ।
इनके अतिरिक्त ली लिंग में दिये जाने वाले इंजेक्शन होते है जिन से लिंग में रक्त संचार में वृद्धि हो जाती है । इन्हें सेक्स से पहले भी लिया जा सकता है या डॉक्टर के बताये अनुसार वैसे भी ले सकते है । इनके काफ़ी सकारात्मक परिणाम होते है ।
VED – वैक्यूम इरेक्शन डिवाइस से भी कई पृस्थितियों में फ़ायदा हो सकता है ।
यदि कोई तरीक़ा फ़ायदा न करे तो सर्जरी द्वारा इंप्लांट डाला जा सकता है । हमारे हॉस्पिटल विवान हॉस्पिटल जयपुर में सभी सुविधाएँ उपलब्ध है परंतु इतने वर्षों में हज़ारो मरिज़ो में से हमे कभी सर्जरी की आवश्यकता नहीं हुई ।