आज के समय की बात की जाये तो लगभग हर किसी के पास इन्टरनेट पहुँच चुका है। और युवा अवस्था में मन सबसे पहले कामवासना की ओर जाता है तो वे इन्टरनेट के माध्यम से सीधे पहुँच जाते है पोर्न साईट पर। और पोर्न देखते हुए वे सेक्स से जुड़े एक एसे संसार में पहुँच जाते है जहाँ से उन्हें अपने आप ही शक होने लगता है। और वहां से शुरू होते है बहुत से सवाल।
कुछ सवाल तो एसे है कि क्या पोर्न देखना अच्छा होता है या नहीं? या पोर्न देखने से स्वास्थ्य के ऊपर कोई दुष्प्रभाव पड़ता है या नहीं?
वैसे तो एसे सवालों के जवाव के लिए अनेकों शोध हुए है। और लोगों ने उन शोधों को पोर्न देखने के फायदे और नुकसान के बीच में अलग – अलग बाँट दिया। पर इससे एक नए सवाल का जन्म हुआ और वो सवाल था –
क्या पोर्न देखने से सेक्स क्षमता कम होती है?
तो आप भी एसे ही सवालों के जवाव जानना चाहते है तो इस लेख में आपका स्वागत है।
दरअसल इस प्रश्न का जवाव देना इतना भी आसान नहीं है। क्योंकि यदि पोर्न केवल एंटरटेनमेंट के कारण देखी जा रही है तो वह सेक्स क्षमता कम नहीं करती।
पर मानव पोर्न देखकर एक अलग ही कल्पना कर लेता है और वह सेक्स को उसी अनुरूप करने का प्रयास करता है जो पोर्न में दिखाया जाता है और वही से अवसाद या चिंता का जन्म होता है।
और जब वह पोर्न में दिखाए अनुसार सेक्स को नहीं कर पाता तो अपने आप पर ही शक करने लगता है। और फिर वह अपने साथी के साथ संतुष्टि महसूस नहीं कर पाता। पर एसा होने के पीछे का मुख्य कारण है वह कल्पना जो व्यक्ति ने पोर्न देखकर की है।
दरअसल पोर्न फिल्मों को बनाते समय यह ध्यान रखा जाता है कि पोर्न मॉडल्स सुन्दर दिखे और लोग विडियो को पूरा देखें। इसी कारण पोर्न मॉडल्स की सुंदरता और फिगर को मेकअप, कॉस्मेटिक सर्जरी और फोटोशॉप जैसी चीजों से एक अलग ही रूप दे दिया जाता है। आपको बता दें कि पोर्न में काम कर रहे मॉडल्स एक स्क्रिप्ट को निभाते हुए सेक्स करते है। और लोग उसे ही सच मानकर अपने निजी जीवन में भी कैसे ही करना चाहते है जिसके कारण वे आगे चलकर निराश होते हैं।
वे अपने साथी से संतुष्ट नहीं होते हैं और कभी-कभी यह भी महसूस करते हैं कि उनके साथी उतने अच्छे नहीं हैं।
सेक्स थेरेपिस्ट और मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, किशोर और वयस्क महिलाओं के साथ काम करते हुए, उन्होंने यह देखा है कि अधिक से अधिक महिलाएं पोर्न वीडियोस की तरह सेक्स करने की बजाये आत्मीयता से भरपूर सेक्स करना चाहती है।
आपको यह समझना होगा कि जिस तरह किसी फिल्म में कोई व्यक्ति कोई रोल अदा करता है उसी प्रकार एक पोर्न में एक मॉडल रोल अदा करता है।
जब आप अपने साथी के साथ सेक्स करते है तो आप एक आत्मीय सेक्स करते है जिसके कारण आपके शरीर में ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन रिलीज़ होता है। ऑक्सीटोसिन एक शक्तिशाली हार्मोन है, जो प्रेम की भावना को बढाता है।
लेकिन पोर्न फिल्मों में एक्टर अपने रोल को निभाता है और इस कारण वह सेक्स के उस स्तर तक नहीं पहुँच पाता जिससे उसमें ऑक्सीटोसिन रिलीज़ हो।
इसको इस तरह समझते है जैसे जब आप अपने साथी को किस करते है तो आपको अच्छा महसूस होता है। पर फिल्मों में काम करने वाले लोगों के लिए यह केवल एक काम है।
और लोग इस बात को समझ नहीं पाते क्योंकि पोर्न देखने के बाद से ही उनके दिमाग में एक नयी कल्पना बन जाती है। और जब वे अपने साथी के साथ उस कल्पना को साकार नहीं कर पाते तो वे वापिस पोर्न की तरफ मुड जाते है ताकि संतुष्टि महसूस कर सके। और धीरे – धीरे यह प्रकिया चलती रहती है और पोर्न एक नशा बन जाता है, जिसकी लत लग जाती है।
आपको यह समझना होगा कि पोर्न एक फिल्म की तरह यानि एक कहानी की तरह बना हुआ होता है और कहानी का पूरा फोकस सेक्स की पोजीशन पर टिका हुआ होता है। और जब लोग इसे देखते है तो वे चाहते है कि वे अपने साथी के साथ उसी तरह सेक्स करें जैसा उन्होंने देखा है और एसा नहीं होने पर मनमुटाव, चिंता, अपने ऊपर ही शंका होना जैसी चीजे पनपने लगती है जिसके कारण जीवन में साथी के प्रति अलगाव की भावना पैदा हो सकती है।
इसलिए कभी भी पोर्न देखकर किसी ख्वाव को ना बुने। आत्मीयता से भरे सेक्स पर ध्यान दें।